Kamakhya Devi Mandir: रहस्यमयी और प्राचीन मंदिर की कहानी

kamakhya devi mandir, भारत के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में स्थित एक प्राचीन हिन्दू मंदिर है जिसका इतिहास रहस्यमयी और आद्यांतरवादी है। यह मंदिर माता सत्ती, देवी दुर्गा के रूप में पूजा जाता है और इसकी प्रसिद्धि उसके अनूठे तथ्यों में छिपी है।

उत्पत्ति और विशेषताएँ:

Kamakhya Devi मंदिर की कहानी के अनुसार, माता सत्ती की इच्छा थी कि वह अपने पति शिव के घर जाएं। लेकिन शिव शंकर उन्हें मना करते हैं। फिर भी, सत्ती अपनी इच्छा पर अड़ी रहती है और उसके बाद एक घटना के परिणामस्वरूप, उनका शरीर टुकड़ों में विभाजित हो जाता है, जिसे शक्ति पीठ कहा जाता है। यहाँ की पावनता और मान्यताएँ यह सिद्ध करती हैं कि देवी की शक्तियाँ अत्यधिक और अद्वितीय हैं।

अद्वितीय पूजाएँ:

यह मंदिर माता कामाख्या के अलावा काली माँ के दस रूपों की पूजा का स्थल है। इन रूपों में धुमावती, बगोला, तारा, मतंगी, कमला भैरवी, छिनमाश, भूबनेश्वरी और त्रिपुरा सुंदरी शामिल हैं। यह विशेषता देवी की असीम शक्तियों को प्रकट करती है और भक्तों को उनके विभिन्न रूपों में उनकी उपासना करने का अवसर प्रदान करती है।

इतिहास और पुनर्निर्माण:

Kamakhya Devi मंदिर का इतिहास विशेष रूप से है। इसे किसी भी ऐतिहासिक प्रामाणिकता के साथ पुरातन समय से जोड़ा गया है। यह मंदिर ऐतिहासिक घटनाओं के प्रमुख स्थलों में से एक है, जिसके दौरान यह कई बार नष्ट हो चुका है। हुसैन सह के शासनकाल में भी इसे नष्ट किया गया था, लेकिन बिश्व सिनधा के बेटे नारायण ने इसे पुनर्निर्माण करवाया और वही जगह पर बनाया गया जहाँ पर पुराने मंदिर के कुछ अंश पाए गए थे।

अंबु बाची पूजा:

यहाँ की अद्वितीय पूजा में से एक है अंबु बाची पूजा, जो माता के मासिक धर्म के समय मनाई जाती है। इसके दौरान मंदिर को 3 दिनों तक बंद रखा जाता है और फिर पूजा के बाद मंदिर को खोला जाता है। इस समय मंदिर में भक्तों की भीड़ अत्यधिक होती है, और वे दूर-दूर से इस विशेष अवसर की प्रतीक्षा करते हैं।

महत्वपूर्ण पूजाएँ:

इस मंदिर में काली पूजा, दुर्गा पूजा, और शिवरात्रि पूजा जैसी महत्वपूर्ण पूजाएँ भी होती हैं, जो भक्तों को आध्यात्मिक उत्सवों के रूप में भी लुभाती हैं।

समापन:

Kamakhya Devi मंदिर न केवल एक मंदिर है, बल्कि एक महत्वपूर्ण और आद्यात्मिक स्थल है जो उपासकों को एक अनूठे तथ्यों और प्राचीनतम इतिहास के साथ जोड़ता है। इसकी पूजा, इतिहास, और मान्यताएँ व्यक्ति की आध्यात्मिकता को प्रोत्साहित करती हैं और उन्हें एक अलग दर्शनीयता का अनुभव कराती है।

kamakhya devi मंदिर कहाँ है और केसे जाए

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असम के गुहाटी के नीलाचल पहाड़ी मे स्थित है, ये मंदिर असम का मुख्य मंदिर माना जाता है और इस मंदिर के कारण गुहाटी मे पर्यटक की भीड़ रहती है, यू तो ये मंदिर पहाड़ियों मे बसा है मंदिर के आस पास का नजारा देख आपके दिल को मानो ठाँठक मिलेगी।

कामाख्या देवी मंदिर गुहाटी रेल्वे स्टेशन से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, अगर आप हवाई यात्रा से जाना चाहते है तो आप गुहाटी एयरपोर्ट तक पहुच सकते है उसके बाद वहाँ से आपको कामाख्या देवी मंदिर के लिए ऑटो या बस आपको मिल जाएगा, आप कोलकाता से भी आसानी kamakhya devi मंदिर तक पहुच सकते है ।

निष्कर्ष :

kamakhya devi mandir की रहस्यमयी और अद्वितीय कहानी, विशेष पूजाएँ, और इतिहास से यह स्थल एक आद्यात्मिक साक्षात्कार की ओर ले जाता है। यहाँ की प्राचीनतमतम और प्राचीन धार्मिक संस्कृति के साथ-साथ उसके पूजा-प्रथाओं ने लोगों को हमेशा आकर्षित किया है।

Rajrappa Mandir काली माँ इस जगह पर अपना धड़ अपने शरीर से अलग की थी